Monday, June 27, 2011

हमने चुन ली है राह दूसरी कोई!!

पल -छिन लिए जाते हैं ,एक अनंत सफ़र की ओर
शुरू कहाँ से किया था हमने ,कहाँ होगा अपना ठौर ...

जीत मिलने पे अभिमान नहीं,हार भी हमको है मंजूर
कांटे राहों के चोट अहम् को दे कर,तोड़ देते हैं सारा गुरूर

कहती है खुशबु बहारों की ,रब साथ है अपने
काफिला छूटा तो क्या, नहीं बदले हैं मेरे सपने

बुला रहा सूरज बाहर का ,तुम आओ न कभी मेरी ओर
लेकिन राह चुनी है हमने ,जो जाती अंतर की ओर

काफी है हमको वही रौशनी , रहती है जो अपने अंदर
छाता है जब बाहर अन्धकार ,रौशन कर देती सब मंजर 


आगे बढ़ता है  कोई,  इनाम पाने के लिए 
कोई बढ़ता है ज़ख्म दिखाने के लिए 

राहबर है कोई यहाँ  , तो  कोई बढ़ता है एहसान उतारने के लिए 
हम ऐसे हाजी है  जो बढ़ते हैं  ,खुद को समझने ओर पहचानने  के लिए ..


झांकते है अपने खुद में ,परखते  हैं खुद की  रौशनी को 
इम्तेहान देते हैं रोज़ ,उसी रौशनी को जिंदा रखने के लिए ...





17 comments:

  1. झांकते है अपने खुद में ,परखते हैं खुद कि रौशनी को
    इम्तेहान देते हैं रोज़ ,उसको जिंदा रखने के लिए ...bahut hi badhiyaa

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  2. बहुत अच्छा लिखा है आपने.
    --------------------------------------
    आपका स्वागत है "नयी पुरानी हलचल" पर...यहाँ आपके ब्लॉग की किसी पोस्ट की कल होगी हलचल...
    नयी-पुरानी हलचल

    धन्यवाद!

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  3. बहुत सुन्दर ..एक आशा को जगाती रचना

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  4. बेशक लेखनी में दम है -आगे बढ़ता है कोई, इनाम पाने के लिए
    कोई बढ़ता है ज़ख्म दिखाने के लिए

    राहबर है कोई यहाँ , तो कोई बढ़ता है एहसान उतारने के लिए
    हम ऐसे हाजी है जो बढ़ते हैं ,खुद को समझने ओर पहचानने के लिए ..

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  5. बंधू आप सेटिंग में जाकर अपना डेट और वर्ष सही कर लें, यह १ साल आगे है और लगभग ३ महीने पीछे है|

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  6. ये इम्तिहाँ ही हमे मुकाम तक पहुँचाते हैं। अच्छे भाव लिये रचना के लिये बधाई।

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  7. झांकते है अपने खुद में ,परखते हैं खुद की रौशनी को
    इम्तेहान देते हैं रोज़ ,उसी रौशनी को जिंदा रखने के लिए ...

    Great couplets !

    .

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  8. कहानी को थोड़ा और संक्षि‍प्‍त कि‍या जाना चाहि‍ये।

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  9. आशा को जगाती बेहतरीन रचना|

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  10. बहुत सुन्दर रचना

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  11. Friday, March 23, 2012
    इसमें ये तारीख क्यों दिखाई दे रहा है। इसे ठीक कर लें।
    .. रचना अच्छी लगी।

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  12. try to write more meaningful and simple.

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  13. musibato se harkar apni raah badlne wale kamjor hote hai, or har musibat ka saamna krta hai ushe hi ish duniya mai jine ka hak hai.

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