Friday, May 6, 2011

मैंने एक रहस्य को जान लिया है!

बहुत  उदास  है मन ,

ये मन 
आज विलीन होना चाहता है 
तेरे उस मौन में 
जब तू मुझे छोर गयी  थी, 

वो निश्चलता 
मुझे बहुत प्यारी लगती है ,

मैं तेरे उस मौन 
और अपनी 
उस तड़प के जुगलबंदी से 
बने निशब्द गीत को 
आज तन्हाई में सुनता हूँ ,

तो मेरी रूह बस ये 
कहती है की 
तेरे न होने से 
मैंने एक रहस्य को
जान लिया है 

कि जीवन एक नदी है 
और 
प्रेम बहती धारा ,

मिलन और वियोग 
दो किनारे ,

और 
सागार मोक्ष 
जहाँ प्रेम कि धारा के 
साथ बहकर ही 
पहुंचा जा सकता है ,

मिलन और वियोग 
हर पड़ाव पर 
हमें मिलेंगे ,

ये अलग है कि
हम
किस पड़ाव पर 
अपने जीवन कि नौका 
को रोकें 




..निशांत 


5 comments:

  1. जीवन को करीब से देखने की प्रश्तुती बधाई

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  2. मन को उद्वेलित करते भाव ..... यह विरोधाभास सदैव बना रहता है...

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  3. sunder abhivyakti ,achha prayas. shukriya .

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  4. जीवन एक रहस्य ही तो है .. उसे जो जितने जल्दी समझ ले उतना ही हितकर
    बहुत बढ़िया प्रस्तुति

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  5. wonderful creation...very appealing lines !

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