Friday, May 13, 2011

बस ख़्वाबों का मुझको तनहा सफ़र दे ...

ग़मों के खंजर से , ह्रदय है घायल
खो गयी है कहीं,खनकती वो पायल

थोरी सी अपनी,मेहेरबानी तू कर दे
इसे प्रेम के,मोम से तू भर दे

आने वाली सुबह कल रहे न रहे
तेरा ये दीवाना कुछ कहे न कहे

अपने दिल की कहानी तू कह दे
खुदाई का अपने होम तू कर दे

मन का मंदिर तेरे बिन है विराना
जीवन की नैय्या का न कोई ठिकाना

नेह के पुष्पों का अर्पण तू कर दे
मेरे लक्ष्य का सृजन तू कर दे

तेरी यादों के साए का पहरा है घर में
उम्मीदों का रंग गहरा है घर में

अनुपम प्रभा से सवेरा तू कर दे
विश्वास का एक बसेरा तू कर दे

विनती है मेरी तू न ठुकराना
एक बात सुन के फिर चले जाना

अपने स्वप्नों से मेरी नींद भर दे
रंगों से खुद के उनको तू भर दे

तेरे ख़्वाबों से महल मैं बनाऊं
खुशियों में तेरी हरदम मुस्काऊँ

मंजिल भी तेरी ,महफ़िल भी तेरे
बस ख़्वाबों का मुझको तनहा सफ़र दे ...

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