Wednesday, May 18, 2011

ख़्वाबों के बादल !




गूंजते  हैं 
कुछ अनमने से ख्याल 
उसके 
मन के वीरान जंगल में,

कुछ भटके हुए से 
अपने मंजिल को ढूँढ़ते  हुए,

कभी दुआओं के शीतल झरने 
पर वो 
रात बिताते हैं,

कभी यादों के वृक्षों 
तले  वो सुसताते हैं,

प्रायश्चित करने को 
निकले
थे  वो कभी ,

किसी 
अपने के कहने पर 
उस वीरान 
मन के जंगल में,

लौट के वापस आयेंगे कब
ये  मालूम  नहीं   
पर जब भी 
बरसात आती है गाँव में ,

तब 
लोग कहते हैं 
वो बहुत प्यार से
उस जंगल की रखवाली कर रहा है ,

वो सींच रहा है उसे 
अपने 
साहस के पसीने से 
और 
पश्चाताप के आसूं से,

शायद !
वो न लौटे 
पर 
उसके ख़्वाबों के बादल 
हमें सुकून पहुंचा रहे हैं...








4 comments:

  1. उसके ख्बाबों के बादल हमें सुकून पहुंचा रहे है | खुबसूरत अहसास , बधाई

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  2. बहुत सुन्दर ...बढ़िया

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  3. अति सुन्दर ..
    क्वाबो के बादल ही सही..बरसात के इंतजार का आसरा तो हैं..

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  4. वो सींच रहा है उसे
    अपने
    साहस के पसीने से
    और
    पश्चाताप के आसूं से,

    खुबसूरत,बधाई.

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