Tuesday, May 10, 2011

दिशा!

रात भर 
जल जल कर
वो दीपक उसे 
रचता गया ,

काले अक्षरों के 
मशाल को ले 
अब  वो 
इस रंग बिरंगी 
दुनिया में 
चला है ,

अपने 
अंतर ज्योत 
के अविनाशी 
घृत के साथ ,

दिशा दिखाने 
हर भूले भटके 
को ,

जो हर रात 
चैन से 
सो नहीं पाते ,

इस चिंता में क़ि
न जाने सुबह का रंग 
कैसा हो !

2 comments:

  1. जो हर रात
    चैन से
    सो नहीं पाते ,


    इस चिंता में क़ि
    न जाने सुबह का रंग
    कैसा हो !

    Khoob kaha.....Gahan abhivykti...

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