Wednesday, November 23, 2011

हकीकत से हंसीं है ख्वाब देखा

इस  शहर में आइनों का  शबाब देखा  
हकीकत  से  हंसीं   इक  ख्वाब  देखा !!  

काँटों के सेज सजे मिले हर मोड़ पे  
मगर  काँटों में मुस्कुराता गुलाब देखा !!

कई सवाल उलझे थे  धागों की तरह 
उंघते चेहरों में उनका जवाब देखा!! 

बिक  गए  शज़र  कौड़ियों  के  दाम 
साँसों का कुछ अजीब  हिसाब  देखा!! 

खामोश  रातों  में  रतजगा करते 
इक  अधलिखा हुआ  किताब  देखा !!  

सवेरा हुआ तो इल्म हुआ "नील" 
कि कल रात महज़ इक ख्वाब देखा !!



10 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर ख्वाब जो रचना में पिरो दिया आपने.....

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  2. बहुत ही सुन्दर ख्वाब जो रचना में पिरो दिया आपने.....

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  3. बिक गए शज़र कौड़ियों के दाम
    साँसों का कुछ अजीब हिसाब देखा!!

    ...बहुत खूब!

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  4. काँटों के सेज सजे मिले हर मोड़ पे
    मगर काँटों में मुस्कुराता गुलाब देखा !!...aur usise jeena sikha

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  5. बिक गए शज़र कौड़ियों के दाम
    साँसों का कुछ अजीब हिसाब देखा!!
    bahut khub mubarak ho

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  6. वाह! बेहतरीन ग़ज़ल... हर एक शेअ`र तारीफ़ के काबिल है...

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  7. बहुत खुबसूरत भावो से रची सुन्दर ग़ज़ल....

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