Tuesday, January 3, 2012

शोर !

बंद  कमरे  में  शोर  मचा  रहा  है 
लोग  आज  उसके  चेहरे    को   देखते  हैं ..

उसे  कल  की  फिकर है  जब  शहर  बहरा  हो  जाएगा  !

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मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब

मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब बहुत चला सफ़र में,ज़रा आप भी चलिए अब  आसमानी उजाले में खो कर रूह से दूर न हो चलिए ,दिल के गलियारे में ...