Tuesday, April 17, 2012

सपनो को बिखरने दो

सपनो  को  बिखरने दो
मगर समेट लो उनके टूटने के पहले
फिर बना लो इक  जहां अपना 
जहाँ तुम विचरण करो उन के पंखो पर 
और बिखेरते रहो 
अपने एहसासों को 
अपने अनुभवों को 

कोई उनके सहारे उड़ना सिख जाए
किसी की नींद सुहानी हो जाए
किसी का दिल भर जाए
और किसी को इक दोस्त मिल जाए
तो बिखरने दो ना इन नन्हे मुन्हे सपनो को 

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