Thursday, April 19, 2012

तेरा चेहरा जो कभी गुलशन में नज़र आये ..

मौसम    की   तपिश  से  राहतें  मिल  जाएँ ,
तेरा  चेहरा  जो  कभी  गुलशन  में  नज़र   आये ..
मेरी   हर  उलझन  मिटे  बस  एक  तेरे  दर्श   से ,
क्षितिज   पे  पहुँच  जाऊं   मैं  पल  में  अर्श  से
जो  कभी   तू  चराग -ए -ज़िन्दगी   जलाए ...
तेरा चेहरा जो कभी गुलशन में नज़र आये .. 

ये   जादू  है  मुहब्बत  का  या   फलसफा  कोई ,
ये  इबादत  है  खुदा  की  या  दुआ  कोई ..
अश्क  भी   जब  छलकने  लगें  तो  मोतियों  से  दिखें ,
हर  कोर  जैसे  माँ  की   बनी   रोटियों   से  दिखे ..
हर  शब्द  मेरे  नज़्म  की  एक  दास्ताँ  बन  जाएँ ..
तेरा चेहरा जो कभी गुलशन में नज़र आये .. 

मैं  फलक  की  आरज़ू  करता  नहीं  यारा ,
समंदर  की  लहरों  से   कभी  डरता  नहीं  यारा ,
क्या  मुझे  है   शिकायत  इस  जहां  से ,
क्या  मुझे  है  गिला  कोई  तूफ़ान  से ,
तू  जो  ले  पतवार  जब  मजधार  में  आये ,
मेरे  हौसलों  में  साथ  दे  पासवां  बन  जाए   ,
तेरा चेहरा जो कभी गुलशन में नज़र आये .. 
तेरा चेहरा जो कभी गुलशन में नज़र आये .. 

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