Tuesday, May 15, 2012

उग आयेंगे कागज़ पर आईने कुछ नज़्म के




कुछ फूलों की महक  से , क्या मिलेगा आपको
रूह  को  महकाइए  , खुदा   मिलेगा आपको

क्यों भला ग़फलत में किताब से  रिश्ता करें 
गीत तो  हर शक्श   से   जुरा     मिलेगा आपको

ज़ख्म पर  जब  आएगी दुआएं बन कर चाँदनी
तो दर्श में उस  चाँद  का चेहरा मिलेगा आपको

बहेंगे लहू लहू जब  जब आपके शोले चिराग
तो क्या हुआ जो नहीं ,सेहरा मिलेगा आपको

ज़ज्बात से इतर अगर कोई महल बनाइये 
उम्र भर एक अजनबी कमरा मिलेगा आपको


उग आयेंगे कागज़ पर आईने कुछ नज़्म  के  
उसमे ही इस रूह का, मुखरा मिलेगा आपको


जिस लिफ़ाफ़े को खोलते नहीं हो आज "नील "
वो लिफाफा एक दिन, ढूंढ़ता मिलेगा आपको



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