Tuesday, May 1, 2012

दर्श के वास्ते

दर्श   के  वास्ते  उनके  क्षितिज   को  ताकते  हैं  हम 
सारी  रात  तनहा  ही  अकेले  जागते  हैं  हम 
पर  बादलों  का  सितम  देखो  आसमान  को  ढक  देता  है ...........................................

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मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब

मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब बहुत चला सफ़र में,ज़रा आप भी चलिए अब  आसमानी उजाले में खो कर रूह से दूर न हो चलिए ,दिल के गलियारे में ...