Saturday, September 1, 2012

लगता है ,सपने नहीं देखता

चिड़ियों के पंखों  को समेटता रहता है वो नादाँ 
कहता है आसमान में उड़ना है 

लगता है ,सपने नहीं देखता !

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मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब

मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब बहुत चला सफ़र में,ज़रा आप भी चलिए अब  आसमानी उजाले में खो कर रूह से दूर न हो चलिए ,दिल के गलियारे में ...