Sunday, May 5, 2013

ए खुदा !क्या हो गया ?


जहान -ए-फिरदौस का अब कोई भरम ना दे 
ए खुदा !क्या हो गया ?, कि दर्द कम ना दे ?


दो पल में बदल जाए ,बस वो मौसम ना दे 
ये कब किया था पैरवी की हमको ग़म न दे 

तू न बता कि कितने काँटे हैं राहों में 
जा आज़ाद किया तुझको , कोई मरहम ना दे 

शेख, रोक मस्जिद में हमें जाने से लेकिन 
ये तो बहुत ज़ुल्म है , जो तू कलम ना दे 

ये ज़िन्दगी बस साँस लेना भर तो है नहीं 

गर तू खुदा है, सुन ,ऐसी साँसों को दम ना दे

मैं सोचता हूँ कैसे कोई खुद को समझेगा
तू उलझने ना दे ,अगर रंज-ओ-अलम ना दे

हाँ कोई नहीं तू तोड़ अब रोज़ कुछ हिस्सा
मेरे ख्वाब को एक दम से, मौला !अदम ना दे

निकले मगर कलम से स्याही की कुछ बूँदें
है जीस्त एक इम्तेहाँ ,तू आखें नम ना दे

चलता है ए खुदा तो चल काफिर के साथ तू
यूँ साथ अपने "नील" का बस, दो कदम ना दे 


****
फिरदौस :heaven
अदम :annihilation,destruction
अलम :व्यथा
जीस्त :life
काफिर :atheist

7 comments:

  1. khoobsurat panktiyan:
    ये ज़िन्दगी बस साँस लेना भर तो है नहीं
    गर तू खुदा है, सुन ,ऐसी साँसों को दम ना

    -Abhijit (Reflections)

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  2. बहुत ही सुन्‍दर

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  3. बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति!
    साझा करने के लिए आभार...!
    --
    सुखद सलोने सपनों में खोइए..!
    ज़िन्दगी का भार प्यार से ढोइए...!!
    शुभ रात्रि ....!

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  4. आभार अभिजित जी
    शुक्रिया अशोक जी
    आभार मयंक दा
    धन्यवाद

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  5. काफी दबंगई शैली में शायरी करतें है साहब !
    लिखते रहिये

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  6. गज़ब के शेर हैं .. लाजवाब ...

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  7. धन्यवाद मजाल जी
    आभार दिगम्बर जी

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