Saturday, May 24, 2014

बस कि अब

रास्तें भी हैं वहीँ,मंज़िलें भी हैं वहीँ
ज़िन्दगी है ये जहाँ, मुश्किलें भी, हैं वहीँ

बस कि अब रंग-ए-आसमाँ  ही और है
मशगले भी हैं वहीँ,हसरतें भी, हैं वहीँ

है मरासिम न मोहताज़-ए-दीद कभी
चाहतें भी हैं वहीँ , सरहदें भी, हैं वहीँ

रूबरू आँधियों से हो रही हैं हर लम्हें
ज़हमतें हैं जहाँ , रहमतें भी, हैं वहीँ

हो मुलाक़ात मगर ,जैसे कोई ठंडी लहर
आदतें न बदलीं , फ़ितरतें भी ,हैं वहीँ

"नील" सुनता है ,समझता है,चुप रहता है
फैसले भी हैं वहीँ ,उल्फतें भी ,हैं वहीँ

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