Sunday, February 22, 2015

kore kaaghaz pe kalam jab jab ruka


kore kaaghaz pe kalam jab jab ruka ,
mere dahliz par koi tab tab ruka

dopahar,subah-o-shaam parchaai thi,
pure wazood me har shab ruka

bandishon ko padha mujhe padhne ko,
mere hone ka de kar matlab ruka

wo namaazi bhi kare sajda magar,
ik kalam kaaghaz pe uska majhab ruka

koi jalaa kar gaya chota sa deepak,
jaana hamdam ki koi rab ruka

lazzat-e-shaayari aayi unke lab se,
bhulaa ke saare shauq-o-talab ruka

daanish-e-charaaghaari mili jaane kab,
raah-e-gurbatt me paas maktab ruka

jo kitaabon me aata jaata tha raha,
neel aankhon ke tale jaane kab ruka,

....

lazzat:taste,flavor
maktab:school,academy
talab:anxious desire
charaaghaari :healing capacity,curing power
shab:night

राजदार

खामोशियों का राजदार कौन है 
मेरी तरह ही बेकरार कौन है 

हो जाए रौशन ये मेरी दास्ताँ 
वो खूबसूरत किरदार कौन है 

जब हम नहीं तो अब बोल दें 
फिर आपका तलबगार कौन है 

आ कर कलम ने ज़ख्म भरा 
गम में मेरा साझीदार कौन है

कभी तेरा ख़त,तो कभी तश्वीर
परदेश में गमगुसार कौन है

आओ दिया हम जलाते चले
फिर सोचेंगे,समझदार कौन है

लाल पत्थर !

बिखेरे हुए हैं कुछ लाल पत्थर 
और आज सिर्फ ख़ामोशी का शोर है 

कल यहाँ कई झंडे लहरा रहे थे !

है प्रयत्न शील ये मन उद्दिग्न !!!

दिन  प्रतिदिन हर पल हर छीन 
है प्रयत्न शील ये मन उद्दिग्न !!!

गाता है कुछ ताने -बाने 
जीवन के खुशियों के खजाने 

ढूँढता है आस पास 
बस ख़्वाबों के बिखरे तृण

है प्रयत्न शील ये मन उद्दिग्न !!!

है नीर बनाना मधुवन सा 
न हो वो व्यर्थ कंचन सा 

पथिकों को जो आश्रय दे 
उन्हें जीने का दृढ निश्चय दे 

खुशबू   को जो वहां  खिंच    लाये  
ऐसे तितलियों का बसेरा हो 


हो जाऊं मैं विरक्त मुक्त 
इस जग बंधन से उऋण 

है प्रयत्न शील ये मन उद्दिग्न !!!









कांटे !!

कांटे
होते   हैं
गुलाब   की  खूबसूरती   को
नायब   करने   के  लिए  ,
काँटों   में  भी  दर्द  है
उससे   बिछुरने  की
ए   मेरे   बाग़    के   माली,  

उसके    आने    के   

इंतज़ार    तक   पौधे   का
बागवाँ   सा   करता   है  
वो   देखवाली   !!

Tuesday, February 3, 2015

i will revert my friend,i will revert


I will revert my friend,i will revert
when wishes are with me
and the pursuit of life is still alive
then i will come with
holding the beauty of rising sun
walking over the knife


my dreams have gone green like
the grass which hold the dew drops
while stepping with bare foot
and if i don't get that awaited horizon very far away
which thrills me as a child is thrilled by a ripe fruit


then i will dive deep inside the sea of the beautiful dreams
and will pick the words like the pearls and will return
with the garland of the music of the heart
but i will revert my friend,i will revert

मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब

मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब बहुत चला सफ़र में,ज़रा आप भी चलिए अब  आसमानी उजाले में खो कर रूह से दूर न हो चलिए ,दिल के गलियारे में ...