Tuesday, July 7, 2015

दीवाना दिल बढ़ता रहता है


दीवाना  दिल  बढ़ता  रहता  है 
दिया प्रेम  का, जलता  रहता  है 


उसके  दिल  में  उजियारा   है 
वो  हर  दिल  में ,ढलता रहता  है 


हर  मोड़ ,हर  कुचे  ,हर  बस्ती  में  
वो  बातें   पी की , करता  रहता  है  


आस-ए-वफ़ा  आब-ओ-दाना  हैं 
वो  ख़्वाबों  पे , पलता  रहता  है 


कुछ  यादें  बस बाकी  रहती  हैं 
नगमों  में  उन्हें , गढ़ता  रहता  है 


न  मंजिल  है ,न ठिकाना उसका 
वो  नज़रों  में , बसता  रहता  है 

मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब

मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब बहुत चला सफ़र में,ज़रा आप भी चलिए अब  आसमानी उजाले में खो कर रूह से दूर न हो चलिए ,दिल के गलियारे में ...