Sunday, January 4, 2015

मेहरबान


कल रात  चमकते मोती दिखे 
खुले संदूक में  छोर गया था मेहरबान 

नींद टूटी  तो खिड़की के शीशे पर ओस चमका सूरज हंस रहा था !!

Saturday, January 3, 2015

खूबसूरत ख्वाब !

रात  बहुत खूबसूरत ख्वाब देखा था 
कुछ चमकते मोती दिखे थे एक खुले संदूक में 

हाय,नींद टूटी तो सामने एक पत्ते पर ओस की बूँदें थी !

Friday, January 2, 2015

खोखले



आज  दरिया  में पत्थर तैरते देखा
क्या पत्थर भी  वायदों  की तरह खोखले हो गए हैं?

चरवाहा बोला उसे  दबाने वाले बर्फ कल  पिघल गए  तेज़ गर्मी से ! 

Thursday, January 1, 2015

मेरे हमनशीं ,मेरे हमनवां


मेरे   हमनशीं ,मेरे  हमनवां ,तुझसे  ही  है  मेरा  जहां 
मेरे  बेबसी  के  हमसफ़र ,तुझसा  न  कोई  मेहरबां
मेरे  हमनशीं ,मेरे  हमनवां ...


किस  नाम  से  मैं  आवाज़  दूं ,ख़्वाबों  को  क्या  परवाज़  दूं 
तू  है  दीवाने  शहर  में ,दर्दों को  कैसे  कर दूं  बयान 
मेरे  हमनशीं ,मेरे  हमनवां ...


बगिया  भी  देखो  महक  रही ,चिड़िया  भी  देखो  चहक  रही 
पर  बागवाँ  उदास  है ,जो   तू  नहीं  है साजना   
मेरे  हमनशीं ,मेरे  हमनवां ...


रातें  वीरानी  हो  गयीं ,कातिल  ज़वानी  हो  गयी 
ये  है  मुहब्बत  की   सजा ,या  दर्द -ऐ -दिल  का  इम्तेहाँ 
मेरे  हमनशीं ,मेरे  हमनवां ...


जब  भी  कोई  ख़त  आता  है ,इक  आस सा जग   जाता   है 
वो  है  नहीं  मौजूद  पर ,दिल  में  उन्ही   का  है  निशाँ 
मेरे  हमनशीं ,मेरे  हमनवां ...


है  अजनबी  हर  रास्ता ,बेगानों  से  है  वास्ता 
पर  वो  बसे  हैं  रूह  में ,हैं  राहबर  ,हैं  रहनुमा  
मेरे  हमनशीं ,मेरे  हमनवां ...

मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब

मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब बहुत चला सफ़र में,ज़रा आप भी चलिए अब  आसमानी उजाले में खो कर रूह से दूर न हो चलिए ,दिल के गलियारे में ...