Monday, April 25, 2016

आईना

एक  सा नहीं दिखता चेहरा हर आईने में
पाया है रंग और भी गहरा हर आईने में

रोको नहीं सफर कि सहरा बहुत बड़ा है ,
देखा किया बहुत है ,पहरा हर आईने में

वो  टुकड़ा तुम्हारे दर्श में ही,होगा कहीं छुपा
नादाँ हो ढूंढते हो वही टुकड़ा  हर आईने में

Sunday, April 10, 2016

ए ज़िन्दगी!

ए ज़िन्दगी तुझे देख कर आवाक रह गए,
उम्मीद ,ऐतवार , बस पोशाक रह गये

जो आफताब था वो दहकता रहा,
जो चराग़ थे ,वो यहाँ खाक रह गये

जब  क़ोई संजीदगी ढूँढ़ने चले,
हर मोड़ पे जाने क्या मज़ाक रह  गये

कूचे से तेरी जिंदगी लौटे सादा दिल,
खातिर में तेरे तेज़ और  चालाक रह गये

हाँ जोर तोड़ सब रहे तुझको मनाने को ,
ताक पर लेकिन यहाँ इख़लाक़ रह गये

मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब

मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब बहुत चला सफ़र में,ज़रा आप भी चलिए अब  आसमानी उजाले में खो कर रूह से दूर न हो चलिए ,दिल के गलियारे में ...