Tuesday, May 10, 2016

एक उम्दा शेर

कैद से आज़ाद कर के यूँ हवा ले आयेगा !
वक़्त का घोड़ा पता तूफ़ान का ले आयेगा !

है सिकंदर शेर  फिलवक्त ,इसको कट जाने तो दें ,
पर्वतों में रास्ता ,खुद फासला ले आयेगा.

फिर उसी रंग में न देखा किया उस शेर को
एक उम्दा शेर अब  क़्या वो दवा ले आएगा ?

आप इतने  ना अदब लाएं ,कि  ये शेर
इक तसल्ली को  रंग दूसरा ले  लाएगा.

है बहुत ठण्डी सी सीरत ,एक  माटी का घड़ा
इम्तेहाँ होगी जो पानी, खौलता ले आयेगा!

पूछते हैँ  बस ,कि उनका शौक़ भी पूरा करें,
एक काफिर किस तरह उनका खुदा ले आएगा ?

गुम  रहा   तो गुज़रा   लम्हा पूछता    है सवाल ,
क्या ये शेर नक्श ,उस  "नील" का ले आएगा  !?

3 comments:

  1. पूछते हैँ बस ,कि उनका शौक़ भी पूरा करें,
    एक काफिर किस तरह उनका खुदा ले आएगा ?

    बहुत खूब लिखा

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (11-05-2016) को "तेरी डिग्री कहाँ है ?" (चर्चा अंक-2339) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete

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