Tuesday, June 14, 2016

धनुक

आये धनुक जाने पर ,ऎसे बरस के देख
इक बार बदरे की तरह से तरस के देख

मत पूछ कि पत्ते बहुत ही बेआवाज़ हैँ ,
रुक जा कहीं और फिर जलवे नफस के देख

देखना अंदाज़ ओ अदा फिर और फैसला
उससे ज़रा पहले मुद्दे बहस के देख

Friday, June 10, 2016

समर

सूख रही है ज़मीं ,और शज़र हो जाये
और भी ख्वाईश  ,हासिल घर हो जाये

मुझसे बेहतर जान लेते ,मुझसे ही सुनकर
मैं भी हो जाता नया सा ,ये खबर हो जाये

जाने किस आवाज से वो हो जाएगा ख़ामोश ,
जाने किस एहसास से वो नामाबर हो जाये

आपको मालूम है हर पल है खुद से जंग ,
फिर भी तसल्ली को खुद में समर हो जाये

Tuesday, June 7, 2016

तश्वीर

इक रँग का इख्तियार ,इक रँग का गुरूर
कल जाने वो तश्वीर रास आये ,न आये

तश्वीर सौंपता है साहिल के रेत को
सोचे है ये कि लहर पास आये न आये

Monday, June 6, 2016

मधुशाला


दूर  क्षितिज  पर  उगता सूरज ,दिखा  रहा अपना ज्वाला
पाने  की  कोशिश  में  सबने  ,जीवन  कैसे  बीता  डाला
ह्रदय  की  धुन को सुन  ले  राही ,सुबक -सुबक  के आस न कर
तू  ही  खुद का है रक्षक  ,अब  समझाती  ये  मधुशाला 

मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब

मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब बहुत चला सफ़र में,ज़रा आप भी चलिए अब  आसमानी उजाले में खो कर रूह से दूर न हो चलिए ,दिल के गलियारे में ...