Thursday, November 1, 2018

ऐसी नियत देना !





ए खुदा हमको सिर्फ इतनी सी  कुव्वत देना
कुछ न देना मगर दिल की एक हुकूमत देना


साँसें चलती रहें  मगर  सांस बेख़ौफ़ रहे
कोई सेहरा  नहीं, थोड़ी सी इज्ज़त देना


मफहूम मोहब्बत का ना जान सका ये दिल
सुकून-ए-दिल हो  मयस्सर, वो मुरब्बत देना

ये  पाबन्द नहीं  बल्कि समुंदर से गहरा है
डूब  जाऊं सदा के लिए ,ऐसी हसरत देना 

ख्वाइश नहीं कोई आब-ए-हयात की हमें 
नज़्म  रूह को छु जाएँ  ऐसी नियत  देना 


"नीलांश "



















2 comments:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २ नवंबर २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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