Sunday, December 23, 2018

मगर न हो सका

पत्थरों के  दरमियाँ  उगे हुए  इन घास  पर
ज़िन्दगी चल रही है  जाने किस किस आस पर

सो गया था जाने  वो किस बात के अंदाज़ से ,
जागता है जाने अब  किस  फिक्र के एहसास पर 

तुम छुपाना  चाहते  थे ,मगर न हो सका
तेरा ही खूं   ढूँढे  तुझे , अब तेरे लिबास  पर









Friday, December 21, 2018

इक ओस की औक़ात

बहके हुए ज़ज़्बात ले कर ,आए हो मिलने
कभी सुबह कभी रात ले कर ,आए हो मिलने

मैं सुबह की धूप में था मुंतजिर तेरा ,
जुगनू की ये बारात ले कर ,आए हो मिलने 

तिनको की कीमत आप पंछी से पूछ लो ,
तूफ़ान की जो बात ले कर ,आए हो मिलने

करते थे बारहा तुम दरिया का जिक्र "नील "
इक ओस की औक़ात ले कर ,आए हो मिलने

Saturday, December 1, 2018

दोहे

पके   आम   के  संग -संग   रेशे  भी  होवत   आम  
उतना  ही  रसपान  करें  जिससे  मिले  आराम  

लीची   मीठी   होवत  है  पर बीज   कसैला  होए   
सीचन  कर  देखो  ज़रा  फल  कितना   सुंदर   भये

बांस   होवत  कठोर है पर गुण होवे हैं निराले 
काट  छांट  जो  छोटा   किये ,मधुमय  सुर  निकाले 

मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब

मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब बहुत चला सफ़र में,ज़रा आप भी चलिए अब  आसमानी उजाले में खो कर रूह से दूर न हो चलिए ,दिल के गलियारे में ...