tag:blogger.com,1999:blog-3919053165769758083.post1755812078174561200..comments2023-10-20T18:12:58.820+06:00Comments on कविता-एक कोशिश: उमीदों का दामन क्यों हैं सब उतारे हुएनीलांशhttp://www.blogger.com/profile/06348811803233978822noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-3919053165769758083.post-45536672859313625102013-02-10T19:25:35.467+06:002013-02-10T19:25:35.467+06:00बहुत धन्यवाद दिगंबर जी
बहुत आभार अनु जी बहुत धन्यवाद दिगंबर जी <br />बहुत आभार अनु जी नीलांशhttps://www.blogger.com/profile/06348811803233978822noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3919053165769758083.post-85221080103842395712013-02-04T20:19:37.563+06:002013-02-04T20:19:37.563+06:00बहुत बढ़िया...
दिए बनाने वाले कुम्हार से पुछा करना
...बहुत बढ़िया...<br />दिए बनाने वाले कुम्हार से पुछा करना<br />कितने घर -आँगन में , कल उजियारे हुए !!<br /><br />लाजवाब एहसास...<br />अनु ANULATA RAJ NAIRhttps://www.blogger.com/profile/02386833556494189702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3919053165769758083.post-29908309399229728282013-02-04T16:10:09.044+06:002013-02-04T16:10:09.044+06:00हीरे - मोती का हम अब क्या करें
बस इक साथ प्रीतम क...हीरे - मोती का हम अब क्या करें <br />बस इक साथ प्रीतम का , हमें सँवारे हुए !!..<br /><br />प्रीतम के साथ के अलावा ओर कोई उम्मीद भी क्यों ... सब कुछ तो मिल ही गया ... बहुत खूब ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.com