Saturday, March 16, 2019

वही  बात

वही  बात  फिर   दोहरा  के  तो  देखो ,
जहाँ  से  चले  ,वहीं  जा  के  तो  देखो !

खलिश ,धूल ,शक  सब  हटा  के  तो  देखो ,
नज़र  से  नजर  अपनी मिला  के  तो  देखो !

स्याही  से  कागज़  नाराज़  क्यूँ  है ,
कलम  से  ये  मसला  बता  के   तो  देखो !

हर  इक  हर्फ़  में  है  गज़ल  "नील " तेरी
तुम  इक  हर्फ़  को  दिल  से  गा  के  तो  देखो !

मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब

मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब बहुत चला सफ़र में,ज़रा आप भी चलिए अब  आसमानी उजाले में खो कर रूह से दूर न हो चलिए ,दिल के गलियारे में ...