Tuesday, September 1, 2020

निशा निमंत्रण

निशा  निमंत्रण  लेकर  चन्दा , छत पर  मेरे  आया  है

सपनो  में  था  खोया  मैं ,उसने  आकर मुझे  जगाया  है

ठंडी  ठंडी  हवा  चल  रही  ,रिमझिम  बूँदें  बरस  रही

बादल  का  घूंघट  ओढ़े  वो  ,चाँदनी को  संग  लाया  है !!


वो कहता  है  मुझसे  , सो  कर  खो  देगा  तू   अमृत  को

भर  ले  अपना  प्याला  जिसे ,   दुनिया  ने  ठुकराया  है

चखना  और  चखना सब को  , ये  प्याला  होगा  रौशनी  का

साकी  तेरा  जब  मैं  हूँ  हमदम ,तू  काहे को  घबराया  है !!

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