Monday, July 1, 2013

हे कृष्ण गोविन्द गिरिधर मुरारी

हे कृष्ण गोविन्द गिरिधर मुरारी
जो हम है वो कृपा तुम्हारी!!


तुने ही आब-ओ -दाना दिया है
तू  ही तो है  इक  पालनहारी!!


गुरबत्त  में बस एक तू ही सखा है
ए नाथ ! तेरे बहुत हैं  आभारी!!


क्रोध ,अहमादि  से बचाना 
तू ही है दाता ,हम है भिखारी!!


चले हम सूरज की ओर हमेशा
मन  बने  निर्मल और  अविकारी  

करुणा करना हे  करुणा निधि 
हे द्वारिकापति रास बिहारी !!

मन मंदिर में बस जा केशव  
लाज बचाना सदा हमारी !!

हे कृष्ण गोविन्द गिरिधर मुरारी
जो हम है वो कृपा तुम्हारी...
























नदियों का विस्तार तो देख

सागर से मिलने से पहले नदियों का विस्तार तो देख,  मिट जाने से पहले अपने होने का आधार तो देख  कुदरत है आँखों के आगे, कुदरत है मन के भीतर  भूल ...