Monday, August 9, 2021

मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब

मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब
बहुत चला सफ़र में,ज़रा आप भी चलिए अब 

आसमानी उजाले में खो कर रूह से दूर न हो
चलिए ,दिल के गलियारे में भी उतरिये अब 

ज़ख्म ये जिस्म के नहीं हैं ,दवा काम न करेगी
अपने मुरब्बत ,अपने करम से इसे भरिये अब 

न था कभी ,न रहेगा ,न होगा ज़माना अपना
खुदा पे भरोसा  रखें,ज़माने से न डरिए   अब 

जब हैं हम ,तो फिर क्या गम है ,आपको सनम 
आप खुद से यूँ तनहा-तनहा नहीं लरिये  अब 

आपके दामन में नूर-ए-आफताब बहुत पाक है 
जाकर मुफलिसों के महफ़िल में बिखरिये अब 

ज़मीन पर कदम रख, ख़्वाबों  के पंख के संग 
इक मुकम्मल जहां की ओर  ज़रा बढिए अब 

मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब
बहुत चला सफ़र में ,ज़रा आप भी चलिए अब 



Sunday, January 24, 2021

दलील क्या है ?



दलील क्या है ?,थाह ले कर देख लो !
हक में कुछ गवाह ? ले कर देख लो !

हो गयी है राह पथरीली मगर ..
राह की भी राह ,ले कर देख लो 

है वही पेड़ था झूला जिधर ...
आप अब पनाह ले कर देख लो !

चाहते हो जाने-जाना या नहीं ..
मेरी दो एक चाह ले कर देख लो...

घर का हूँ तो गलतियाँ हैं लाजिमी ..
किसी और की सलाह ले कर देख लो !

डूबता सूरज तो है केवल भरम ...
शायर की अब निगाह ले कर देख लो 

Friday, December 11, 2020

शायरी

बुलाया   उन्होंने , गए  हम  दिल  लेकर
और  गए  तो  वहाँ  मौसम   बदल  गया 

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राहें  बोलती  हैं  तू  जाना  पहचाना  है  शायर
मगर मेरे   महबूब   ही हमें   भूल  गए  

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कश्ती  को  किनारे  पर  नहीं  छोरना  मांझी
कि  शहर  में  अब  दंगो  का  शोर   है
तूफ़ान  की  शिरत  तो  सबको  मालूम  है 

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तेरे इश्क ने इतना मज़बूत कर दिया हमें सनम
कि गम अब दोस्त है अपनी
मौत भी आ जाए दुश्मनी को तो लड़ जायेंगे 

Tuesday, September 1, 2020

निशा निमंत्रण

निशा  निमंत्रण  लेकर  चन्दा , छत पर  मेरे  आया  है

सपनो  में  था  खोया  मैं ,उसने  आकर मुझे  जगाया  है

ठंडी  ठंडी  हवा  चल  रही  ,रिमझिम  बूँदें  बरस  रही

बादल  का  घूंघट  ओढ़े  वो  ,चाँदनी को  संग  लाया  है !!


वो कहता  है  मुझसे  , सो  कर  खो  देगा  तू   अमृत  को

भर  ले  अपना  प्याला  जिसे ,   दुनिया  ने  ठुकराया  है

चखना  और  चखना सब को  , ये  प्याला  होगा  रौशनी  का

साकी  तेरा  जब  मैं  हूँ  हमदम ,तू  काहे को  घबराया  है !!

Saturday, August 1, 2020

ज़माने को समझाएगा कब तक

तू खुद को बहलायेगा कब तक
हसीन ख्वाब सजाएगा कब तक!!

तू साहिल पर युही क्यूँ बैठा है
लहरों से दूर जाएगा कब तक !!

आइना पूछता है अब चेहरे से
तू मुझे आजमाएगा कब तक ?

हिजाकात नही होती परश्ती में
तू ज़वाहिरों से मनायेगा कब तक!!

उनकी सूरत साकिब है नज़रों में
ज़माने को समझाएगा कब तक!!

उनकी गलियों में तेरे चर्चे हैं
तू खुद को तरपायेगा कब तक!!

फुरक़त में कोई ग़ज़ल लिखना
अश्क आँखों से बहायेगा कब तक!!

कहाँ रहती है खुशबू पोशीदा कभी
मुहब्बत को छुपायेगा कब तक!!

Sunday, June 7, 2020

जाग उठो ,अब स्वप्न लोक से



जाग उठो ,अब स्वप्न लोक से
जाओ ,उपवन की महक की ओर

सूर्य खड़ा है मुस्कुराता ,देखो
चलो तुम भी फलक की ओर

मन को रंग लो सु विचारों से
न जाओ बाह्य धनक की ओर

उजाला दिल में ही कर लेना
नहीं देखो आभूषण की चमक की ओर

संगीत बनाओ सुरमई सुमधुर
जाओ पंछियों की चहक के ओर

किसी बस्ती में गर मुफलिसी है
तुम जाना उस सड़क की ओर

ईमान से जीना,ईमान से मरना
न जाना तड़क भड़क की ओर

जाग उठो ,अब स्वप्न लोक से
जाओ ,उपवन की महक की ओर ..

Wednesday, April 1, 2020

खामोशियाँ आती हैं अक्सर

खामोशियाँ  आती  हैं  अक्सर 
कुछ  यादों  के  संग
चलो  हम  भी  महफ़िल  में  आयें 
दुआओं और फरियादों  के  संग

इन  खामोश  आवाजों की धुन  को  
तुम  भी  सुन  लो  न राही 
रह  जायेगी  बस  तन्हाइयां ही 
कुछ  पुरे अधूरे  वादों  के  संग

कुछ  टूटते हुए
ख़्वाबों  के  दरमियान
कुछ  अपनी  
और कुछ  तुम्हारी खुशियाँ

अफसाना  है  एहसासों  का 
अपने  नेक  इरादों  के  संग

अपने   नेक  इरादों  के  संग 

मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब

मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब बहुत चला सफ़र में,ज़रा आप भी चलिए अब  आसमानी उजाले में खो कर रूह से दूर न हो चलिए ,दिल के गलियारे में ...