मिट जाने से पहले अपने होने का
आधार तो देख
कुदरत है आँखों के आगे, कुदरत है मन के भीतर
भूल के माजी की खामोशी, आज
के ये त्योहार तो देख
स्याह अँधेरे में कब तक ये मशाले साथ निभायेंगी
शम्मा बन जा
खुद हि फिर जीवन की रफ्तार तो देख
ऐ राही मेरी आँखें तो, पत्थर की हो गयी कब के,
तू
अपने अंतर्मन से ,इन आँखों में प्यार तो देख
कितनी कमियाँ हैं गजलों में, नज्मों
में, छंदों में "नील"
इनसे है रूसवाई किनको, किनको है स्वीकार तो देख
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर मंगलवार 20 मई 2025 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
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बहुत सुंदर
ReplyDeleteधन्यवाद आप सभी का
ReplyDeleteबहुत खूब
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