Friday, May 16, 2025

सँभाल कर रखिये


नाज़ुक है दिल सँभाल कर रखिये,

ना मोम सा इसे ढाल कर रखिये 


किन्हीं एहसासों का नाम है ग़ज़ल,

उन एहसासों को सँभाल कर रखिये


ये ग़ज़ल नहीं रहेगी उम्र भर,

ये वहम भी मत पाल कर रखिये


सबसे मुहब्बत कर रहे हैं तो, 

ना खुद को कभी टाल कर रखिए


थोडा सा ही लेकिन कभी कभी, 

अपनी लहू को उबाल कर रखिए


ऐ "नील" हो सुकून जिधर भी,

 लंगड़ वहीं पे डाल कर रखिए





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