कठिनाइयाँ ही तो हैं ,
गौरवशाली है ये धरती हम करते हैं इससे प्यार दिल को दिल से जोड़ना सिखाये हमारा प्यारा ये बिहार हम अलग भले हों यारों एक हमारा भारत है मिलकर हम सबको रहना है देश को इसकी जरूरत है....जय बिहार...जय भारत
Thursday, October 31, 2019
तितली
कठिनाइयाँ ही तो हैं ,
Tuesday, October 29, 2019
स्वासों को ऐसी धुन दे दो
कितनों को अमृत पीने से वंचित करते हो
हर आयाम अपने ही मनोवांछित करते हो
नाम छोटी योगदान में भी अंकित करते हो
उनको अकारण ही सब पर इंगित करते हो
क्रोध ,मोह ,मद ,आडम्बर आप त्वरित करते हो
हर दिन परमेश्वर को पर लज्जित करते हो
जो कहे सब "नील" तुम रोमांचित करते हो
Sunday, October 27, 2019
जीवंत दीपक
अथार्थ
श्रेष्ठ परोपकार करने में स्वयं को परे कर देना परता है
फौजी खुद अपने घर नहीं जा पाते पर हमारा घर में होना सार्थक करते हैं
किसान वर्षा , ताप और हवाओं को झेलते हैं पर हमें अन्न और प्रसाद की कमी नहीं होने देते
गुरु स्वयं लघु और तपस्वी की भाती जीवन व्यतीत करता है ताकी उसके शिष्य हर ऐश्वर्य से परिपूर्ण हो जायें
मज़दूर हमारे कार्य साधने में अपना समर्पण करते हैं
माता पिता अपने संतति की चिंता करते हैं और उनकी मनोइच्छाओं को पूरा करते हैं
आईये जीवंत दीपकों का स्मरण और अभिवादन करें
खामोश मुहब्बत
Friday, October 25, 2019
विष
Thursday, October 24, 2019
सोच
Wednesday, October 23, 2019
बेहोश
Monday, October 21, 2019
बादल
मेरे कपड़े तेरी सीरत है , मेरे चादर तेरा ही बल है !
मेरा घाटा है बेमानी शेर , गज़लों में हरदम हल है !
तुझको प्याले पे नाज़ बहुत ,उसका प्याला वो बादल है !
Saturday, October 19, 2019
इक शाम सा हूँ मैं बौराया
मैं साथ ही हूँ साँसों की तरह ,तू खिड़की को ना ताक सनम
मैं दरवाजा गर खोलूँ तो ,हो जाता है बेबाक सनम
हम बिजली ना चमकायेंगे ,हमे दुश्मन में न आँक सनम
न हम ही थे मायूस कभी ,न तुम ही थे चालाक सनम
इक शाम सा हूँ मैं बौराया , हूँ खुद पे अब आवाक सनम
तू दर्जी है मेरे मन का , दे सपनों के पोशाक सनम
Friday, October 18, 2019
Root/ जड़
खुद को मुक्त करने की कोशिश कर रहा है,
आने वाले तूफान से प्राणी मंत्रमुग्ध हो रहा है,
या तो "जड़ों वाले पेड़" होने का सौभाग्य प्राप्त करें
या जड़ रहित पत्ती की तरह मुक्त हो।
The creature is surrounded by trees and entangled within clutches of branches , trying to free itself, the creature is being mesmerised by the incoming storm , either get the fortune of being the "tree having the roots" or have the freedom like rootless leaf.
Thursday, October 17, 2019
वादों का सम्मोहन ?
क्यों नहीं किसी भी कैकेयी ने मुझे अपने वादों के शहर को छोड़ने के लिए मजबूर किया ?
किसी ने भी मेरे वादों के पैर क्यों नहीं हिलाए जो अंगद की तरह स्थिर हैं
Tuesday, October 15, 2019
Experience/ अनुभव
सोचने का तरीका खुद एक कविता है,
यह कभी नहीं थकता है,
या
तेल की खोज के लिए आवश्यक है जो आत्म-प्रज्वलन के लिए आवश्यक है ,,
even if the pen is tired , the way of thinking is itself a poetry ,
Monday, October 14, 2019
Quest /ज़ुस्तज़ू
ज़ुस्तज़ू है कर दिखाने में !
होता है आसाँ पार करने में ,
आती है मुश्किल पुल बनाने में ?
रात और चाँद दोनों आये हैं ,
भूल हो जाये ना निभाने में ?
सात रँग के ज़ेहन में फूल खिले ,
सादगी से यूँ पेश आने में !
हो तसल्ली कि कुछ नया कर दें ,
कुछ कमी रह गयी पुराने में ?
जानते ही तुम भूल जाओगे !
एक मुद्दत हुई बताने में ?
उड़ रहे पंछी , सुबह आयी है !
देर काफी है शाम आने में !
तारे हैं दूर , पास है सूरज
क्या बुराई टिमटिमाने में ?
तुम सा कोई चारागार कहाँ ,
वक़्त कटता है दवाखाने में !
रोज़ खुद से ही जंग क़ायम है ,
दर्द होता है हार जाने में !
"नील " कह दो या कह दो गंगा ,
पानी तो पानी ,इस फ़साने में
Sunday, October 13, 2019
Shadows/ छाया
Saturday, October 12, 2019
Urge on / तलब
एक चाय की तलब को छोड़ भी सकते हो क्या ,
पास खुद के खुद को अब मोड़ भी सकते हो क्या !
ताश के पत्तों के घर पर भी अना कर लेते हो ,
नीब अब अपने मकाँ में जोड़ भी सकते हो क्या !
वायदों के जाल में फँस जाते हो ,फँसाते हो ,
तुम ही कह दो चाँद तारे तोड़ भी सकते हो क्या !
है तुम्हारे प्यार का इम्तेहाँ ! ,उस नीम से ,
तुम शहद की बूँद , निचोड़ भी सकते हो क्या !
गुल्लकों में क़ैद खुशियाँ , किस शमाँ का इंतज़ार ?
"नील " हर कूचे में उनको फोड़ भी सकते हो क्या !!
Friday, October 11, 2019
Fraction / अंश
आज दिन थोड़ा जल्दी शुरू कर दूँ ज़रा
रात को टूटा है दिल , सुबह रफू कर दूँ ज़रा !
तुमको मेरे नज़्म -ऐ -अक्स से मुहब्बत हो गयी ,
खुद को भी उसके हू -ब -हू कर दूँ ज़रा !
रँग बिरँगी जिंदगी में रँग -ए -यारी का सामान ,
थोड़े लम्हे के लिये खुद को उदू (rival) कर दूँ ज़रा !
चाँदनी पर रख यकीं अपने , और मेरी बात काट ,
गर अमावस में तुम्हारी आरज़ू कर दूँ ज़रा !
बारी बारी से जो देता धूप हर दिशा को "नील ",
अंश उस सूरज का तेरे रू -ब-रू कर दूँ ज़रा !
Thursday, October 10, 2019
Bridge/पुल
तुम बहुत हो दूर ! ,लेकिन ,है कविता का ये पुल ,
तुम अलग हो ,मैं अलग हूँ , एक गीता का ये पुल !
जब कभी अथाह सागर ,कर रहा हो इंतजार ,
सामने पाओगे तुम तब उस विधाता का ये पुल !
सब अलग लगने की कोशिश में यहाँ लगे हुए !,
सब की रोगों के लिये है ,एक दवा •••!!! का ये पुल
मोम के पुल से सभी के साथ हम क्यूँ बँधे ?,
धीमी धीमी आँच पर है राब्ता का ये पुल ?
Wednesday, October 9, 2019
Limit/सीमा
एक हिरण सा मन है अपना ,कोई कातिल ! ना आ जाये ,
कैसा हो हम सब का सपना ,अंतिम मंजिल ना आ जाये !
सागर भी मनमानी करता जब तक साहिल ना आ जाये !
कब तक समझोगे जब तक कि तुमसे काबिल ना आ जाये !
चोटी तक जाने से पहले "नील " पे दिल ना आ जाये !
Tuesday, October 8, 2019
Proof / सबूत
the greenery will show the proof of the rainfall , no need to wait for the rainbow for the proof, the rainbow is a miracle or [coincidence] and the greenery , hardwork
हरियाली बारिश का सबूत दिखाएगी, सबूत के लिए इंद्रधनुष का इंतज़ार करने की ज़रूरत नहीं है, इंद्रधनुष एक चमत्कार या [संयोग] है और हरियाली, अथक परिश्रम
Boredome/उदासी
जिस कुएँ ने हमें जीना सिखाया है, वही कुआँ आज बारिश के उफान में डूब गया है,
और हमारा परिश्रम, उसे जीवन और गौरव में वापस लाने की प्रक्रिया में ऊब गया है
Sacredness/पवित्रता
Words should be kept as the sacred rivers by the mighty Himalayas , not owned ,but allowed to flow and keep nourishing , if kept for the ego, flood of misery is what we can get
शब्दों को शक्तिशाली हिमालय द्वारा पवित्र नदियों के रूप में रखा जाना चाहिए, स्वामित्व में नहीं, लेकिन उन्हें बहने और पोषण करने की अनुमति दी जाए, अगर अहंकार के लिए रखा जाए, तो दुख की बाढ़ है जिसे हम प्राप्त कर सकते हैं,
Inspiration / प्रेरणा
What you wrote was already there, you have collected it and you are inspired
आपने जो लिखा था वह पहले से ही था, आपने उसे एकत्र कर लिया है और आप प्रेरित हैं
Monday, October 7, 2019
Question ?/ सवाल
Sunday, October 6, 2019
Guest / मेहमान
दो राहों पर जाकर करते हैं खुद का पहचान ,
अपनी राहों का रहबर खुद बनता है इंसान!
काले बादल और बिजली की आहट सुन कर के ,
चींटी सा बन जाये तो ,हो जाये सब आसान !
करते हैं इस घर की दीवारों से सब प्यार ,
अपने घर में भी लेकिन दो दिन के हैं मेहमान
कैसी फसलों के चक्कर में पड़ जाते हो "नील ",
तेरे ही कुछ कागज़ पर है हर्फों का खलिहान
Saturday, October 5, 2019
Misconception/ भरम
टूटे हुये शीशों को सजाओ ना , दोस्तों ,
यूँ आईनों का शहर बसाओ ना दोस्तों !
रखते हो अगर आईना तो , रखो साफ साफ,
भूल कर खुद को ही ,आओ ना दोस्तों
कागज़ों के रेत में ये हर्फ़ के हैं धूल ,
हर्फों को फिर फूल सा खिलाओ ना दोस्तों
कहते हो वाह तो हो जाती है रौनक ,
है कमी तो , आज , छुपाओ ना दोस्तों,
रूठता है अब नहीं ये "नील " भी कभी ,
ये भरम भी तोड़ के जाओ ना दोस्तों
मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब
मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब बहुत चला सफ़र में,ज़रा आप भी चलिए अब आसमानी उजाले में खो कर रूह से दूर न हो चलिए ,दिल के गलियारे में ...
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मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब बहुत चला सफ़र में,ज़रा आप भी चलिए अब आसमानी उजाले में खो कर रूह से दूर न हो चलिए ,दिल के गलियारे में ...
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दलील क्या है ?,थाह ले कर देख लो ! हक में कुछ गवाह ? ले कर देख लो ! हो गयी है राह पथरीली मगर .. राह की भी राह ,ले कर देख लो है वही पेड़ था झ...
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निशा निमंत्रण लेकर चन्दा , छत पर मेरे आया है सपनो में था खोया मैं ,उसने आकर मुझे जगाया है ठंडी ठंडी हवा चल रही ,रिमझिम...