वो एक इन्द्रधनुष देखा मैंने
देखा उसके कई रंगों को
खो गया मैं उन रंगों में
देख न पाया की वो है एक बाह्य आवरण
फिर उतारा उसको मैंने अपने जीवन में
सब ने अपने रंगों को चाहा
पर किसने देखा की वो रंग
बने हैं सच्चे मन के मंथन से
जिसने देखा जैसे मन से
उसने पाया वैसा रंग
उन रंगों को समेट ले गया जो
उसका मंथन किया जो
उसने पाया मन को निर्मल
श्वेत रंग है सबसे शीतल
उसने पाया मन को निर्मल
ReplyDeleteश्वेत रंग है सबसे शीतल
सच्चाई है , बहुत सुन्दर,बहुत बहुत बधाई