गर हमने वफ़ा की है ,तो ये अपनी कहानी है
और उसने दुआ दी है ,ये उनकी मेहेरबानी है
बता दे आज ,कब ये बोलता है , कोई भी ,दाता
की बोल तुझमे , और मुझसा , कौन दानी है
मोहब्बत इक तूफां नहीं जो आकर गुज़र जाए
इसका न तो बुढापा है ,और ना ही जवानी है
बड़े बे -आबरू होकर हम लौटे उनके कूचे से
कहा तन्हाई ही , तुम आशिकों की ,जिंदगानी है
हमें उनका हाल -ए-दिल पता अब चल ही जाता है
हर मोड़ पे जब उनके ही चर्चों की कहानी है
बहुत खूब ... अच्छे शेर हैं सभी इस गज़ल के ...
ReplyDeleteaapka bahut dhanyvaad digambar ji
ReplyDeletebahut aabhaar mayank daa