Saturday, February 8, 2020

राहों के दौरान


राहों के    दौरान  आये गये
सुर फिर वही सब सुनाये गये

कैद -ए - मशक़्क़त  तो था ही लिखा
जिरह से   क्यूँ भरमाये गये

ए फनकार तेरे लब से कभी
मेरे गीत क्यों न गाये गये

बच्चे बहुत जल्द सो जाते हैं
 बहुत देर से फिर जगाये गये

उन्हें लग रहा था कि हैं  संग संग
मगर साथ तो सिर्फ  साये गये

नहीं तीरगी की कर गुफ़्तुगू
सितम रोशनी में भी ढाये गये

हुये दफ्न जाकर अदालत में वो
जो हादसों से जलाये गये

"नील" आसमाँ के सितारे बहुत
अज़ीज़ इस जमीं में मिलाये गये


Saturday, February 1, 2020

खुशबू को न तौलो


ए  दोस्त  कहाँ  हो  ,कैसे  हो  ,बोलो  न , कुछ  तो  बोलो
बात  बनेगी , राह  दिखेगी  ,अपने  अंतर्मन  को  खोलो
धुप  ,छाँव  ,शहर  और  गाँव  ,सब इक  से  हो  जायेंगे
महफ़िल  तुम  जहाँ  बनाना  ,अधरों  में  मिश्री  को घोलो

देखो  चरवाहा  अपने  भेड़ों  से  प्रेम  कितना  दिखाए
देखो  माली  गुलशन  के  खातिर कितना स्वेद बहाए
तुम  भी  अब  अपनी  कोशिश  से   नया  तराना  लिख दो
हर  गुल  की  खुसबू  है  अच्छी  ,खुशबू  को  न  तौलो

आओ  ,दीप  जलाओ ,फिर  से , नया  सवेरा  लाते  हैं
अमन  ,चैन  ,दोस्ती  का  इक सुंदर  मकान  बनाते  हैं
उम्मीदों  का  दामन  रखना  ,आगे   बढ़ते  जाने
अपने  मन  पर  पड़ी  धुल  को  भक्ति  से  तुम  धो  लो 

मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब

मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब बहुत चला सफ़र में,ज़रा आप भी चलिए अब  आसमानी उजाले में खो कर रूह से दूर न हो चलिए ,दिल के गलियारे में ...