दलील क्या है ?,थाह ले कर देख लो !
हक में कुछ गवाह ? ले कर देख लो !
हो गयी है राह पथरीली मगर ..
राह की भी राह ,ले कर देख लो
है वही पेड़ था झूला जिधर ...
आप अब पनाह ले कर देख लो !
चाहते हो जाने-जाना या नहीं ..
मेरी दो एक चाह ले कर देख लो...
घर का हूँ तो गलतियाँ हैं लाजिमी ..
किसी और की सलाह ले कर देख लो !
डूबता सूरज तो है केवल भरम ...
शायर की अब निगाह ले कर देख लो
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना मंगलवार २६ जनवरी २०२१ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
बेहतरीन ग़ज़ल।
ReplyDelete--
गणतन्त्र दिवस की पूर्वसंध्या पर हार्दिक शुभकामनाएँ।