Sunday, June 7, 2020

जाग उठो ,अब स्वप्न लोक से



जाग उठो ,अब स्वप्न लोक से
जाओ ,उपवन की महक की ओर

सूर्य खड़ा है मुस्कुराता ,देखो
चलो तुम भी फलक की ओर

मन को रंग लो सु विचारों से
न जाओ बाह्य धनक की ओर

उजाला दिल में ही कर लेना
नहीं देखो आभूषण की चमक की ओर

संगीत बनाओ सुरमई सुमधुर
जाओ पंछियों की चहक के ओर

किसी बस्ती में गर मुफलिसी है
तुम जाना उस सड़क की ओर

ईमान से जीना,ईमान से मरना
न जाना तड़क भड़क की ओर

जाग उठो ,अब स्वप्न लोक से
जाओ ,उपवन की महक की ओर ..

मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब

मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब बहुत चला सफ़र में,ज़रा आप भी चलिए अब  आसमानी उजाले में खो कर रूह से दूर न हो चलिए ,दिल के गलियारे में ...