हर वक़्त आरज़ू रहेगी ..की लौट आयें हम
रूह से लिखी नगमों की माला बनाए हम
ज़माने की हर रंग से हम खेल ही चुके हैं
आज सतरंगी सपनो की दुनिया बसाए हम
रूह से लिखी नगमों की माला बनाए हम
ज़माने की हर रंग से हम खेल ही चुके हैं
आज सतरंगी सपनो की दुनिया बसाए हम
जब मन में ही है इश्वर का ठौर दोस्तों
तो बेवजह मंदिर भला क्यूँ जाए हम
फिर आये न आये ये रुत गाने बजाने की
आज फिर इक खुशनुमा नगमा सुनाये हम
कोई राहगीर थक न जाए इस ज़माने में
उसको भी मंजिल का इक रस्ता दिखाए हम