बारहा खुद से तुम न युहीं लड़ो यारों
इक दफा खुद की भी बात तो सुन लो यारों
जिस तरफ कोई शख्स भी नहीं जाता ,
उस तरफ मुझको, आज ,ले चलो यारों
या तो महफ़िल मे चुप यूँहीं रहने दो ,
और बस तुम ही तुम, गुफ्तगू करो यारों
बस कि कुछ देर सही दूर उन लहरों से
तन्हा साहिल पे भी, आज तुम रुको यारों
दौर कैसा भी हो ,बस यही कोशिश थी
कोई रुसवा हमसे न कभी भी हो यारों
जो जुबाँ से कभी कह सका नहीं शायर
आज कुछ हर्फों में ढूँढ कर पढ़ो यारों
ख्वाब तो देखो तुम "नील" आँखों से मगर
राह चलते चलते न ख्वाइशें कहो यारों
इक दफा खुद की भी बात तो सुन लो यारों
जिस तरफ कोई शख्स भी नहीं जाता ,
उस तरफ मुझको, आज ,ले चलो यारों
या तो महफ़िल मे चुप यूँहीं रहने दो ,
और बस तुम ही तुम, गुफ्तगू करो यारों
बस कि कुछ देर सही दूर उन लहरों से
तन्हा साहिल पे भी, आज तुम रुको यारों
दौर कैसा भी हो ,बस यही कोशिश थी
कोई रुसवा हमसे न कभी भी हो यारों
जो जुबाँ से कभी कह सका नहीं शायर
आज कुछ हर्फों में ढूँढ कर पढ़ो यारों
ख्वाब तो देखो तुम "नील" आँखों से मगर
राह चलते चलते न ख्वाइशें कहो यारों