Friday, May 12, 2017

शिनाक्त

सामने तेरे  इक आईना होगा ,
दर को तूने जो बंद किया होगा

तेरी  पलकों   पे जो कहानी है
देख कर कोई सो  गया होगा

"नील " लिखूँ तो फिर  शिनाक्त सही ,
न लिखूँ अगर तो क्या होगा

Monday, May 1, 2017

रब को दिल में ही अपने बसाया करना !!

तुम  यूँ  पत्थर  न  कभी उठाया  करना 
एक पल में  किसी को न  पराया  करना !!



तेरी साँसे पलती हैं कई साँसों से 
उनके एहसान कभी न भुलाया करना !!


देखो गुलाब भी काँटों को भी संग रखता है 
दिल में दर्दों को वैसे ही  छुपाया करना !!

ओस की बूंदे हर सुबह जैसे खो जाती हैं
जुदाई को तुम भी  अपनाया करना !!

तिनके-तिनके की कीमत है राही 
किसी बुलबुल के घरौंदे को न मिटाया करना !!



भटक जाते हैं लोग यहाँ  शहरों में 
उन्हें रास्ता घर का दिखाया करना !!

कब गुरबत्त  आ जाए तेरे गुलशन में 
अपने ईमान को हमेशा बचाया करना !!

गुलशन जैसे महकते हैं गुल से शायर 
ख़्वाबों से रूह को  तुम सजाया करना !!


क्या मंदिर क्या मस्जिद क्या गिरिजे 
रब को दिल में ही अपने बसाया करना !!




मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब

मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब बहुत चला सफ़र में,ज़रा आप भी चलिए अब  आसमानी उजाले में खो कर रूह से दूर न हो चलिए ,दिल के गलियारे में ...