तू खुद को बहलायेगा कब तक
हसीन ख्वाब सजाएगा कब तक!!
तू साहिल पर युही क्यूँ बैठा है
लहरों से दूर जाएगा कब तक !!
आइना पूछता है अब चेहरे से
तू मुझे आजमाएगा कब तक ?
हिजाकात नही होती परश्ती में
तू ज़वाहिरों से मनायेगा कब तक!!
उनकी सूरत साकिब है नज़रों में
ज़माने को समझाएगा कब तक!!
उनकी गलियों में तेरे चर्चे हैं
तू खुद को तरपायेगा कब तक!!
फुरक़त में कोई ग़ज़ल लिखना
अश्क आँखों से बहायेगा कब तक!!
कहाँ रहती है खुशबू पोशीदा कभी
मुहब्बत को छुपायेगा कब तक!!
हसीन ख्वाब सजाएगा कब तक!!
तू साहिल पर युही क्यूँ बैठा है
लहरों से दूर जाएगा कब तक !!
आइना पूछता है अब चेहरे से
तू मुझे आजमाएगा कब तक ?
हिजाकात नही होती परश्ती में
तू ज़वाहिरों से मनायेगा कब तक!!
उनकी सूरत साकिब है नज़रों में
ज़माने को समझाएगा कब तक!!
उनकी गलियों में तेरे चर्चे हैं
तू खुद को तरपायेगा कब तक!!
फुरक़त में कोई ग़ज़ल लिखना
अश्क आँखों से बहायेगा कब तक!!
कहाँ रहती है खुशबू पोशीदा कभी
मुहब्बत को छुपायेगा कब तक!!