अभी तो बस, शुरू हुआ है सफर देखते रहो,
कि जब तलक ना हो कोई भी असर देखते रहो !
किनारे से नहीं आयेगी नज़र देखते रहो,
समंदर मे अब तुम भी उतर देखते रहो !
कुछ एक कूचा ,कूच एक डगर, बदल गये तो क्या,
अभी तो बदलेगा ये सारा शहर देखते रहो !
कई पर्दे , कई धूल , रोकेंगे अभी रास्ता,
संभाल कर ये अपनी आँखें मगर देखते रहो !
कहाँ कहता था मैं कभी ऐ मेरे हमदम,
कि मैं जो देखूँ तुझे तुम भी इधर देखते रहो !
कुछ एक नज़्म के दिये जले फिर काग़ज़ों पे आज,
यही है "नील" का छोटा सा इक घर देखते रहो !
कि जब तलक ना हो कोई भी असर देखते रहो !
किनारे से नहीं आयेगी नज़र देखते रहो,
समंदर मे अब तुम भी उतर देखते रहो !
कुछ एक कूचा ,कूच एक डगर, बदल गये तो क्या,
अभी तो बदलेगा ये सारा शहर देखते रहो !
कई पर्दे , कई धूल , रोकेंगे अभी रास्ता,
संभाल कर ये अपनी आँखें मगर देखते रहो !
कहाँ कहता था मैं कभी ऐ मेरे हमदम,
कि मैं जो देखूँ तुझे तुम भी इधर देखते रहो !
कुछ एक नज़्म के दिये जले फिर काग़ज़ों पे आज,
यही है "नील" का छोटा सा इक घर देखते रहो !