Friday, November 1, 2013

न बुझाओ गम -ए -चिराग मयकदा जाकर !

न   जियो  गफ़लत  में  ,दिल  को रौशन कर लो

ख्वाब   सजाकर   खुद   को गुलशन    कर लो !!

नज़रों     में   न   तुम अक्श    को ढूँढा   करना  
महसूस   करो   रूह    को,उसे   दर्पण   कर लो!!

न  बुझाओ  गम -ए  -चिराग  मयकदा  जाकर  
खुशियों  के नगमो  में , उन्हें  दफ़न  कर  लो !! 

दिये - बाती  को मशालों   से  क्यूँ  तौलते  हो 
सिर्फ  अँधेरा मिट जाए   ,तुम  जतन   कर लो!!


तौफीक हथेली के लकीरों से नहीं मिलती "नील" 
कोशिशें आज  दिल-ओ-जान से दफतन कर लो !!


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