नज़्म कहते हैं किसे और ग़ज़ल कहाँ पर है
कौन सी बात दिल में और क्या जुबाँ पर है
बंदगी ,बेकली ,दर- ब-दर का फिरना
जाने इलज़ाम क्या क्या मेरे गिरेबाँ पर है
क्यों बदलने सी लगी हैं शहर की नज़रें
कल तलक थी ज़मीं पर आज आसमाँ पर है
आज फिर मुंसिफ़ का फैसला होना है
आज फिर अपनी नज़र आपके बयाँ पर है
जाने है यकीं किसको "नील" आँखों का और
जाने किसको न यकीं तेरे दास्ताँ पर है
कौन सी बात दिल में और क्या जुबाँ पर है
बंदगी ,बेकली ,दर- ब-दर का फिरना
जाने इलज़ाम क्या क्या मेरे गिरेबाँ पर है
क्यों बदलने सी लगी हैं शहर की नज़रें
कल तलक थी ज़मीं पर आज आसमाँ पर है
आज फिर मुंसिफ़ का फैसला होना है
आज फिर अपनी नज़र आपके बयाँ पर है
जाने है यकीं किसको "नील" आँखों का और
जाने किसको न यकीं तेरे दास्ताँ पर है