दीवाना दिल बढ़ता रहता है
दिया प्रेम का, जलता रहता है
उसके दिल में उजियारा है
वो हर दिल में ,ढलता रहता है
हर मोड़ ,हर कुचे ,हर बस्ती में
वो बातें पी की , करता रहता है
आस-ए-वफ़ा आब-ओ-दाना हैं
वो ख़्वाबों पे , पलता रहता है
कुछ यादें बस बाकी रहती हैं
नगमों में उन्हें , गढ़ता रहता है
न मंजिल है ,न ठिकाना उसका
वो नज़रों में , बसता रहता है
कुछ यादें बस बाकी रहती हैं
ReplyDeleteनगमों में उन्हें , गढ़ता रहता है
ये नगमें ही तो जिन्दगी को आसान करते हैं ... खूबसूरत ग़ज़ल है ...
आपको सूचित किया जा रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (08-07-2015) को "मान भी जाओ सब कुछ तो ठीक है" (चर्चा अंक-2030) पर भी होगी!
ReplyDelete--
सादर...!
सुन्दर रचना
ReplyDelete