किस बात से खफा थे सब ,ये मालूम है
मैं अकेला और पीछा करता हुजूम है
खामोश है मेरी तरह जो बीते कल की तरह ,
जो आईना सा है मेरा ,वो ही मासूम है
दो बूँद माँगता था वो ,पर जिंदगी की दोस्त
दे दी आपने क्या शोहरत,क्या वो मज़लूम है ?
देखेंगे हम ,है अभी कयामत का वक्त दूर ,
कौन हैँ मायूस और किनकी धूम है