ज़ेहन -ओ -दिल से आज हम दुआ करते हैं
दोस्त होने का आज अहल -ऐ -वफ़ा करते हैं ...
मुश्किलों में भी तुझको मुकम्मल जहाँ मिले
तेरे लिए आज ग़ज़लों को फ़िदा करते हैं ...
दर्द -ए -जुदाई हो या हो मिलन का शबब अब
हम आज दोस्त होने का फ़र्ज़ अदा करते हैं ...
गुलशन तेरा हो गुल से गुलज़ार ही हमेशा
सींचने उसे जतन से बादल को विदा करते हैं ...
मुमकिन है की बादल फिर लौट कर ना आयें
पर आज तो ए दोस्त ,तुझपे जान निशाँ करते हैं ...
है आरज़ू हमारी ,तू गुलशन को प्यार देना
कभी आयेंगे हम भी ,ये एलां करते हैं ...
दोस्त होने का आज अहल -ए -वफ़ा करते हैं ..
दोस्त होने का आज अहल -ऐ -वफ़ा करते हैं ...
मुश्किलों में भी तुझको मुकम्मल जहाँ मिले
तेरे लिए आज ग़ज़लों को फ़िदा करते हैं ...
दर्द -ए -जुदाई हो या हो मिलन का शबब अब
हम आज दोस्त होने का फ़र्ज़ अदा करते हैं ...
गुलशन तेरा हो गुल से गुलज़ार ही हमेशा
सींचने उसे जतन से बादल को विदा करते हैं ...
मुमकिन है की बादल फिर लौट कर ना आयें
पर आज तो ए दोस्त ,तुझपे जान निशाँ करते हैं ...
है आरज़ू हमारी ,तू गुलशन को प्यार देना
कभी आयेंगे हम भी ,ये एलां करते हैं ...
दोस्त होने का आज अहल -ए -वफ़ा करते हैं ..