ज़ेहन -ओ -दिल से आज हम दुआ करते हैं
दोस्त होने का आज अहल -ऐ -वफ़ा करते हैं ...
मुश्किलों में भी तुझको मुकम्मल जहाँ मिले
तेरे लिए आज ग़ज़लों को फ़िदा करते हैं ...
दर्द -ए -जुदाई हो या हो मिलन का शबब अब
हम आज दोस्त होने का फ़र्ज़ अदा करते हैं ...
गुलशन तेरा हो गुल से गुलज़ार ही हमेशा
सींचने उसे जतन से बादल को विदा करते हैं ...
मुमकिन है की बादल फिर लौट कर ना आयें
पर आज तो ए दोस्त ,तुझपे जान निशाँ करते हैं ...
है आरज़ू हमारी ,तू गुलशन को प्यार देना
कभी आयेंगे हम भी ,ये एलां करते हैं ...
दोस्त होने का आज अहल -ए -वफ़ा करते हैं ..
दोस्त होने का आज अहल -ऐ -वफ़ा करते हैं ...
मुश्किलों में भी तुझको मुकम्मल जहाँ मिले
तेरे लिए आज ग़ज़लों को फ़िदा करते हैं ...
दर्द -ए -जुदाई हो या हो मिलन का शबब अब
हम आज दोस्त होने का फ़र्ज़ अदा करते हैं ...
गुलशन तेरा हो गुल से गुलज़ार ही हमेशा
सींचने उसे जतन से बादल को विदा करते हैं ...
मुमकिन है की बादल फिर लौट कर ना आयें
पर आज तो ए दोस्त ,तुझपे जान निशाँ करते हैं ...
है आरज़ू हमारी ,तू गुलशन को प्यार देना
कभी आयेंगे हम भी ,ये एलां करते हैं ...
दोस्त होने का आज अहल -ए -वफ़ा करते हैं ..
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (02-09-2018) को "महापुरुष अवतार" (चर्चा अंक-3082) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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श्री कृष्ण जन्माष्टमी की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteनिमंत्रण विशेष :
हमारे कल के ( साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक 'सोमवार' १० सितंबर २०१८ ) अतिथि रचनाकारआदरणीय "विश्वमोहन'' जी जिनकी इस विशेष रचना 'साहित्यिक-डाकजनी' के आह्वाहन पर इस वैचारिक मंथन भरे अंक का सृजन संभव हो सका।
यह वैचारिक मंथन हम सभी ब्लॉगजगत के रचनाकारों हेतु अतिआवश्यक है। मेरा आपसब से आग्रह है कि उक्त तिथि पर मंच पर आएं और अपने अनमोल विचार हिंदी साहित्य जगत के उत्थान हेतु रखें !
'लोकतंत्र' संवाद मंच साहित्य जगत के ऐसे तमाम सजग व्यक्तित्व को कोटि-कोटि नमन करता है। अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/