Monday, October 1, 2018

किनारा

चलो  इक  और  किनारा  आ गया है
मांझी , किश्ती  को  रोकना   मत !


समुंदर  में  तैरने  के  लिए  बहुत  से  तिनके  समेट  लिए  हैं  मैंने  सफ़र  में ...

मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब

मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब बहुत चला सफ़र में,ज़रा आप भी चलिए अब  आसमानी उजाले में खो कर रूह से दूर न हो चलिए ,दिल के गलियारे में ...