Friday, December 11, 2020

शायरी

बुलाया   उन्होंने , गए  हम  दिल  लेकर
और  गए  तो  वहाँ  मौसम   बदल  गया 

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राहें  बोलती  हैं  तू  जाना  पहचाना  है  शायर
मगर मेरे   महबूब   ही हमें   भूल  गए  

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कश्ती  को  किनारे  पर  नहीं  छोरना  मांझी
कि  शहर  में  अब  दंगो  का  शोर   है
तूफ़ान  की  शिरत  तो  सबको  मालूम  है 

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तेरे इश्क ने इतना मज़बूत कर दिया हमें सनम
कि गम अब दोस्त है अपनी
मौत भी आ जाए दुश्मनी को तो लड़ जायेंगे 

मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब

मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब बहुत चला सफ़र में,ज़रा आप भी चलिए अब  आसमानी उजाले में खो कर रूह से दूर न हो चलिए ,दिल के गलियारे में ...