गौरवशाली है ये धरती हम करते हैं इससे प्यार दिल को दिल से जोड़ना सिखाये हमारा प्यारा ये बिहार हम अलग भले हों यारों एक हमारा भारत है मिलकर हम सबको रहना है देश को इसकी जरूरत है....जय बिहार...जय भारत
Wednesday, August 31, 2011
Friday, August 26, 2011
अभिषेक
धरती पर आते सूर्य किरणों का प्रथम आवेग हूँ मैं
रन क्षेत्र में डटे हुए किसी क्षत्रिय का तेज हूँ मैं
लहरों से लरते हुए एक नाविक का विवेक हूँ मैं
पत्ते से गिरते बूंदों से माटी का अभिषेक हूँ मैं
किसी कवि की लेखनी का पहला आलेख हूँ मैं
मन के मरुभूमि में साहित्य की ठंडी रेत हूँ मैं
सृष्टि की शक्ति का एक पावन उल्लेख हूँ मैं
बालक के मुख से माँ की ध्वनि का अभिषेक हूँ मैं
मेरा आखिरी पैगाम ले ले!!
ए जाने वाले जाने से पहले
मेरा आखिरी सलाम तो ले ले ..
ये वक़्त घुल न जाए सीने में मधु बनकर
याद आयेंगे तुझे हर सांझ हर सुबह ये मंज़र...
हम भी काफिर सा नहीं सोचेंगे खुद को कभी
तू भी सुकून से रहेगी ,ए मेरी ज़िन्दगी ...
जुदाई तो बस ज़िन्दगी की एक शुरुआत है
आज तो जी भर के जी ले इसे
ये मिलन है ,तू समझ न मेरी जाना ..
ये हमारे रूह की बात है ...
है पाक ये दिल ,तू है इसकी धड़कन
ज़िन्दगी में होंगे तेरे संग , मेरे गीतों के सरगम
पर आज तो जाना मेरा
आखिरी पैगाम ले ले ...
मेरा आखिरी पैगाम ले ले ....
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मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब
मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब बहुत चला सफ़र में,ज़रा आप भी चलिए अब आसमानी उजाले में खो कर रूह से दूर न हो चलिए ,दिल के गलियारे में ...
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