Tuesday, August 21, 2012

मृगतृष्णा


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धन्यवाद 
आशा है ये पुस्तक  सबको पसंद आएगी 
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नीलांश 


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Sunday, August 5, 2012

कायम है तीरगी में भी उसका हुनर,जादू

बीता हुआ पन्ना नहीं ये माजी का नक्श है ,
एह्साओं से भरे अल्फाजों का रक्स है 

जीता है अपनी ज़िन्दगी के आईने में वो ,
अपने तजुर्बे से पढ़ रहा हर एक शख्स है 


कायम है तीरगी में भी उसका हुनर,जादू
कुछ अलग ढाँचे में ढला यारों ये अक्स है

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रक्स :नृत्य ,dance
नक्श :print ,nishaan

Wednesday, August 1, 2012

चाँद सो गया है


चाँद  सो  गया   है  काले  बादल   को   ओढ़  कर 
कल  सुबह  की  पहली  किरण  के  साथ  जागेगा 


तब  उससे  बिछुड़ते  वक़्त  बादल  रो  देंगे !

मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब

मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब बहुत चला सफ़र में,ज़रा आप भी चलिए अब  आसमानी उजाले में खो कर रूह से दूर न हो चलिए ,दिल के गलियारे में ...